Monday, March 7, 2011

दिल को सुकून रूह को आराम आ गया ......

दिल को  सुकून  रूह  को  आराम  आ  गया 
मौत आ गयी कि दोस्त का पैगाम आ गया 

जब कोई ज़िक्रे - गर्दिशे - अय्याम आ  गया 
बेइख्तियार  लब  पे   तिरा  नाम   आ   गया 

दीवानगी हो , अक्ल हो ,उम्मीद हो  कि यास 
अपना वही  है  वक़्त  पे  जो  काम  आ   गया

दिल के मुआमलात में नासेह ! शिकस्त क्या 
सौ  बार  हुस्न  पर  भी   ये  इल्ज़ाम आ  गया 

सैयाद   शादमां   है    मगर  ये   तो   सोच  ले 
मै  आ  गया  कि  साया   तहे - दाम आ  गया 

दिल  को  न  पूछ  मार्काए - हुस्नों - इश्क़  में
क्या  जानिये  गरीब   कहां   काम  आ   गया 

ये क्या मुक़ामे-इश्क़ है ज़ालिम कि इन दिनों 
अक्सर   तिरे   बगैर   भी   आराम  आ   गया 

           साभार : जिगर मुरादाबादी 
...................................................................................................
यास = निराशा 
नासेह = उपदेशक 
शादमां =खुश 
तहे-दाम = जाल में  


No comments:

Post a Comment