Sunday, February 27, 2011

" जब तेरी याद आयी ........"

ज़ुल्फ़ पर गीत  लिखा , शेर नज़रों पै  कहा 
बन गई खुद ही ग़ज़ल -जब तेरी याद आई |

ख़ुशबू बन-बन के उड़ी
नींद   रातों   की   मेरी
जब   हवा   चूम   गई
मेहंदी  हाथों  की  तेरी
बरसे हर सिम्त केवल -जब तेरी याद आई |

एक जोगिन की तरह 
साँस  हर  गाने  लगी,
शक्ल नज़रों में  कोई
आने और जाने  लगी,
घर   बना   राजमहल -  जब तेरी याद आई |
नाम जब  तेरा  लिया
जल उठे दिल में दिए,
पास  जब  पाया  तुझे
काले  दिन  गोरे   हुए 
गई दुनिया  ही  बदल- जब  तेरी  याद  हुई |  

                साभार : नीरज  

3 comments:

  1. भाव पूर्ण कविता |
    आशा

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  2. सरल और स्पष्ट रचना

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  3. नीरज तो नीरज ही हैं...लाजवाब....

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