Saturday, February 19, 2011

" हर इक सूरत हर इक तस्वीर ........"

हर इक सूरत हर इक तस्वीर मुबहम होती जाती है
इलाही , क्या  मिरी  दीवानगी  कम  होती जाती  है 

ज़माना  गर्मे -  रफ्तारे  -  तरक्क़ी   होता  जाता  है 
मगर इक चश्मे -शायर है की पुरनम होती जाती है 

यही    जी   चाहता   है   छेड़ते    ही   छेड़ते   रहिये 
बहुत दिलकश अदाए -हुस्ने -बरहम होती जाती है 

तसव्वुर  रफ़्ता - रफ़्ता इक सरापा बनाता जाता है
वो इक शै जो मुझी में है ,मुजस्सिम होती जाती है 

वो रह-रहकर गले मिल-मिलके रुख़सत होते जाते है
मिरी आँखों से  या  रब ! रौशनी  कम  होती जाती  है 

"जिगर " तेरे सुकूते - ग़म ने ये क्या कह दिया उनसे 
झुकी  पड़ती  है  नज़रे ,आंख   पुरनम  होती  जाती  है

     साभार : जिगर मुराबादी 

     ........................................................................................
मुबहम =अस्पष्ट 
चश्मे - शायर =शायर की आंख
अदाए-हुस्ने-बरहम =नाराज़गी में सौन्दर्य की अदा 
तसव्वुर =ध्यान 
सरापा =साकार 
मुजस्सिम = साकार 
सुकूते -ग़म =ग़म के कारण चुप्पी        

3 comments:

  1. उर्दू शब्दों के अर्थ देने से समझने में बहुत सरलता रहती है.
    इसे पढवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

    सादर

    ReplyDelete
  2. संकलन को समर्थन देने के लिये शुक्रिया !

    ReplyDelete