Friday, February 25, 2011

"इस तपिश का है मज़ा ...."

इस तपिश का है मज़ा दिल  ही  को हासिल होता 
काश मैं इश्क़  में सर - ता - ब - क़दम दिल होता 

करता  बीमारे - मोहब्बत  का  मसीहा जो  इलाज़ 
इतना दिक़  होता  कि  जीना  उसे मुश्किल  होता 

आप  आइना - ए - हस्ती  में  है  तू  अपना   हरीफ़
वर्ना   यां   कौन   था   जो    तेरे   मुकाबिल   होता 

होती गर उक्दा - कुशाई न  यदे - अल्लाह के साथ 
जोक हल क्योंकि मिरा उक्दा - ए - मुश्किल  होता 

       साभार : ज़ौक
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तपिश =जलने का 
सर - ता - ब - क़दम = सर से पांव तक 
हरीफ़ = शत्रु 
उकदा - कुशाई =समस्या का समाधान 
उक्दा - ए - मुश्किल =कठिन समस्या 

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  2. इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।

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  3. wah wah, shandar

    ( jata hun pahle urdu sikh kar aata hun)

    ;)

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  4. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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