Sunday, February 27, 2011

"किस को भेजे वह यहां ......."

आसमां पे  है  ख़ुदा और  ज़मीं पे  हम 
आजकल वह इस तरफ़ देखता है कम 

आजकल  किसी  को वह टोकता  नहीं 
चाहे  कुछ  भी  कीजिये  रोकता   नहीं 
हो  रही  है  लूट  मार  फट रहे   हैं  बम 
आसमां पे  है  ख़ुदा  और  ज़मीं पे हम 

किस  को  भेजे  वह यहां ख़ाक  छानने 
इस   तमाम  भीड़   का   हाल   जानने 
आदमी हैं  अनगिनत  देवता   हैं  कम 
आसमां पे  है  ख़ुदा और  ज़मीं  पे  हम 

इतनी   दूर  से   अगर   देखता  भी   हो 
तेरे   मेरे    वास्ते    क्या     करेगा    वो 
ज़िंदगी है अपने-अपने बाजुओं का दम 
आसमां  पे  है ख़ुदा  और  ज़मीं  पे  हम 

         साभार : साहिर 

No comments:

Post a Comment