Thursday, February 24, 2011

"जब कोई कहता है .........."

जब  कोई  कहता  है   हस्ती  को  हस्ती  खूब   है 
उसकी गफ़लत पर फ़ना उस वक़्त हँसती खूब है 
तौबा  है  साकी  नहीं  पीने   का  मैं  जामे - शराब 
मुझको अपनी बादा- ए- वहदत की मस्ती ख़ूब है 
मुल्क  दुनिया की  तो आबादी  है  वीराना तमाम 
और  बसती  है  जहाँ   इक  ख़ल्क़ बसती ख़ूब  है 
'ज़फ़र'  आंखें  कह  देती  हैं तेरी , क्या छुपाता  है 
मए- उल्फ़त की कैफ़ियत छुपाये से  नहीं  छुपती 

           साभार : ज़फ़र 
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हस्ती : अस्तित्व
फ़ना : मृत्यु 
ख़ल्क़ : सृष्टि 

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